आजादी के ५० साल बाद भी हम में से कितने लोग खुश है सायद कोई नहीं , अरे यारो अभी नयी नयी वेबसाइट खोली है समज में नहीं आ रहा हे कि क्या लिखू इश्मे इसी ख्याल में दोस्तों एक शयरी याद आयी हे
लिखू क्या इस ब्लॉग में कुछ समज में आता नहीं
हल दिल का कोई न कोई हल हे
किसी को कुछ तो किसी को कुछ
देश का ख्याल किसी को आता नहीं
बाबा रामदेव हो या आना हजारे
सच कुछ और होगा यही सोच कर
किसी का साथ दे पता नहीं
जहा बदल गया हो गंगा का पानी
वहा चमत्कारों का सिलसिला रुक पता नहीं
जहा सरल हो गया दूर दूर बात करना
बगल वाले का हाल पता चल पता नहीं
यू तो बहुत आगे निकल गयी दुनिया
पर पीछे मुरकर देखो तो दर लगता हे
क्यों साथ कोई मेरे नज़र आता नहीं
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